Navnath Devasthan Seva Mandal Trust – Madhi

|| ॐ चैतन्य श्री कानिफनाथाय नमः ||    || ॐ श्री स्वामी राघवेंद्राय नमः ||   || ॐ सद्गुरू श्री देवेंद्रनाथाय नमः || || ॐ चैतन्य श्री कानिफनाथाय नमः ||    || ॐ श्री स्वामी राघवेंद्राय नमः ||   || ॐ सद्गुरू श्री देवेंद्रनाथाय नमः ||

|| प. पू. श्री राघवेन्द्रस्वामींची आरती ||

प. पू. श्री राघवेन्द्रस्वामी

ॐ स्वामी राघवेन्द्रनाथा – स्वामी, राघवेन्द्रनाथा
तुमच्या चरणी ठेवीतो, देवेन्द्र शिष्य माथा।।
ॐ स्वामी राघवेन्द्रनाथा।।धृ।।

तुंगभद्रेकाठी मंत्रालयम् गावी,
असे आपुले घर नाथा, स्वामी असे आपुले घर नाथा,
अष्ट दिशांना झोकुनी ठेवीतो चरणी माथा।।
ॐ स्वामी राघवेंद्रनाथा। १।।

प्रथम अवतार हा भक्ती रुपाचा,
प्रल्हाद हे नाम, स्वामी प्रल्हाद हे नाम
केली सेवा भावे, नारायण देवा।।
ॐ स्वामी राघवेन्द्रनाथा। ।२।।

द्वितीय रूप हे व्यासमुनींचे
वाहे ज्ञानगंगा, स्वामी वाहे ज्ञानगंगा
विजयनगराचे राज्य करोनी, संकट टाळिले नाथा।।
ॐ स्वामी राघवेन्द्रनाथा।।३।।

तृतीय रूप हे भक्त रामाचे
अखंड जपी मुलराम, स्वामी अखंड जपी मूलराम,
धन्य धन्य त्रि अवतारी, आचरे संध्या त्रिकाल।।
ॐ स्वामी राघवेन्द्रनाथा।।४।।

महाविष्णुचा अवतार स्वामी
बसले वृंदावनात, स्वामी बसले वृंदावनात,
संकल्पिले सातशे वर्षा, घेईन नव अवतार।।
ॐ स्वामी राघवेंद्रनाथा। ५।।

शिष्य करोनी देवेन्द्रासी
मढी – भूमी अवतार, स्वामी मढी – भूमी अवतार
गुरूकृपेने स्वामी लाभले, धन्य धन्य अवतार।।
ॐ स्वामी राघवेन्द्रनाथा। ।६।।

शिष्य खगेन्द्र हा देवेन्द्राचा
ठेवितो माथा, स्वामी ठेवितो माथा
मम देहाचा नमस्कार हा स्विकारा नाथा।।
ॐ स्वामी राघवेन्द्रनाथा।।७।।